
केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार की आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा तुगलकाबाद में ध्वस्तीकरण के चलते प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर चिंता व्यक्त की है। साथ ही केंद्र सरकार की एएसआई या डीडीए से दिल्ली सरकार को जमीन मुहैय्या कराने की मांग की है, ताकि दिल्ली सरकार पुनर्वास योजना तैयार कर इन बेकसूर लोगों के रहने के लिए वैक्लपिक व्यवस्था कर सके। इस संबंध में दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार की एएसआई द्वारा तुगलकाबाद में बेकसूर लोगों के घरों को उजाड़कर दिल्ली और दिल्ली के लोगों पर एक बड़ा संकट खड़ा किया जा रहा है। तुगलकाबाद में केंद्र सरकार द्वारा इन लोगों के घरों को उजाड़ना तो आसान है, मगर इन्हें बसाने का काम बहुत बड़ा है। इन बेकसूर लोगों पर कार्रवाई करने की बजाय केंद्र सरकार उन अधिकारियों पर कार्रवाई करें, जिनकी लापरवाही से इन जमीनों पर कब्जा हुआ। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को गरीब लोगों के प्रति सहानुभूति होनी चाहिए। लोगों के घरों को उजाड़ने से पहले उनके रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए।
शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कई दिनों से ये बात सामने आ रही है कि केंद्र सरकार की आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया तुगलकाबाद के आसपास रहने वाले लोगों के घर उजाड़ने के लिए कोर्ट के रास्ते गई है। अब केंद्र सरकार की संवेदनहीनता के चलते, कोर्ट ने उन घरों को ध्वस्त करने के आदेश दिए है। पिछले कुछ सप्ताह पहले जब यह मामला हाईकोर्ट में आया था, तो दिल्ली सरकार के वकीलों ने कहा कि एएसआई ने इतने वर्षों तक अपनी जमीन को संभालकर नहीं रखा। ऐसे में यह सारी गलती और लापरवाही केंद्र सरकार की एएसआई की है, जिसने भू-माफियाओं को इस जमीन को काट-काटकर बेचने दिया। आज जिन बेकसूर लोगों ने इस जमीन को खरीदकर अपने छोटे-छोटे घर बनाए हैं, अब एएसआई वर्षों बाद जागी है और घरों को ध्वस्त कर हजारों लोगों को बेघर कर रही है। यह बात सुनने के बाद कोर्ट की ओर से दिल्ली सरकार को कुछ समय दिया गया था। मगर कुछ दिनों पहले दिल्ली हाईकोर्ट के अंदर यह मामला दोबारा आया और कोर्ट ने केंद्र सरकार की बातों को मानते हुए इन मकानों को ध्वस्त करने का आदेश दिया।
शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज मजदूर आवास समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को मेंशन किया गया। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच के सामने भी दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने बात रखी कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ये मानती है कि जब केंद्र सरकार की लापरवाही के चलते हजारों लोग वहां पर बस गए और अगर अब उनके मकानों को उजाड़ा जाता है तो हजारों लोग सड़कों पर आ जाएंगे। जिन लोगों के बच्चे आसपास के स्कूलों में पढ़ते हैं और जिनके आसपास ही रोजगार है, वे बेघर होने की वजह से दिल्ली के फ्लाईओवर्स और फूटपाथों पर छोटी-छोटी झुग्गियां बनाकर रहेंगे। यह दिल्ली की चुनी हुई सरकार और दिल्ली के लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी बन सकती है। यह आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की जमीन है। ऐसे में कोर्ट इस बात पर ध्यान दें कि केंद्र सरकार की एएसआई या डीडीए दिल्ली सरकार को जमीन मुहैय्या कराए, ताकि दिल्ली सरकार उस जमीन पर एक पुनर्वास योजना लेकर आ सके और इन लोगों के रहने के लिए दोबारा से एक वैक्लपिक व्यवस्था कर पाए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई स्टे नहीं दिया है। मामले को कल के लिए रखा गया है। कल भी दिल्ली की चुनी हुई सरकार सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यही बात कहेगी कि केंद्र सरकार द्वारा इन लोगों के घरों को उजाड़ना तो आसान है, मगर इन्हें बसाने का काम बहुत बड़ा है। हम चाहते है कि बेकसूर लोगों पर कार्रवाई करने की बजाय उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, जिनकी लापरवाही से इन जमीनों पर कब्जा हुआ और लोगों ने करोड़ों रूपये कमाए। बेकसूर लोगों ने ना जानते हुए जमीनों को खरीदकर यहां मकान बनाए है। आज इनके घरों को उजाड़कर दिल्ली और दिल्ली के लोगों पर एक बड़ा संकट खड़ा किया जा रहा है। केंद्र सरकार को गरीब लोगों के प्रति सहानभूति होनी चाहिए। लोगों के घरों को उजाड़ने से पहले उसकी वैकल्पिक व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए।